Monday 15 August 2011

एमजे की यादें

आ फिर लौट चले जीजीयु की ओर...
एम.जे.एम.सी. की पहले साल की ओर ....
आभा,रचना,श्वेता से मेरी पहली मुलाकात
आज भी है मुझे बड़े अदब से याद .....
मै थोडा सकुचाया घबराया सा था ..
सच कहू तो आप लोगो से बात कर शरमाया सा था ...
क्योकि आप सब शहर की गुनी
और मै ठेठ देहात से आया था
मै बी.जे.एम.सी. करने जा रहा था ...
आप सब मेरी मदद की ...
मुझे एम.जे.एम.सी करने की सलाह दी ....
क्यों सच कहा न
जो लिखा सही लिखा न
फिर तो जैसे हम सब यु घुले
जैसे कभी पहले भी हो मिले
फ़िर मिले मनोज नवाब रवि ब्रिज
मुकेश अविनाश भुनेश्वरी सुमित
आरती प्रांजलि निशा निगार
सब मिले एम.जे.बना यादगार
सबका मिला भरपूर प्यार
सबका अच्छा रहा व्यव्हार
आप सब ने मेरी मदद की आप सब से मैंने सिखा
आप सब की ही प्रेणना है ये जो कुछ मैंने लिखा
आवो फिर एक संग मिल करे जमकर शोर....
आ फिर लौट चले.........
बागची मेडम का डाटना, रुपेश सर का लिखाना
मोहन सर का समझाना और चौबे भैया का हँसाना
समीर भैया का हर खबर बताना
और हम सबका मस्ती में क्लास बिताना
पढाई का कोई टेंशन नहीं बेफिक्र जीना
लैबेरी में गप मारना
और क्लास छोड़ कैटिन में चाय पीना

No comments:

Post a Comment

Popular Posts