Monday 22 August 2011

क्या मैं अन्ना हूँ...

क्या मैं अन्ना हूँ
...पैंसो की चमक ने चुराया फर्ज ए नमक खुन हुआ इमान का ।
भूलाया मातृभूमि का कर्ज,खुद बने बेईमान साथ दिया कई बार बेईमान का।
कचोटते रहते गर खुद के जहन को,तो बचा लेते शर्म का पानी।
तकदीरें संवर चुकी होती,न वक्त जाया होता यूं बेमानी।
सुबह का भूला गर शाम को लौटे,तो उसे भूला नहीं कहते,फर्ज भूलने में आज हमने अपना सबकुछ गवां दिया।
काश शाम को लौट आये होते,पर लौटने में हमने एक अरसा लगा दिया।
आज अंधरो में गंवाए बिते पलो का, चुकाना पुरा लगान हैं।
अब मकसद से ना भटकना क्योंकि भीड़ में खुद को अन्ना कहना बेहद आसान हैं।
हुंकार भरता नारे लगाता, क्या मैं उदय होते भारत की तमन्ना हूं।
बुढ़े जहन में फौलाद पालता, क्या मैं भारता का अगला अन्ना हूँ॥
शशिकांत तिवारी ,भिलाई (..)

एक पैरोडी, अन्ना का तो ये अनशन

एक पैरोडी
, अन्ना का तो ये अनशनअन्ना का तो ये अनशन ,सोये सरकार को जगाना हैं
बनाके लोकपाल हमें,भ्रष्टाचार को मिटाना हैं।
अन्ना का तो ....
बापू तेरे भारत का, अन्ना तो हैं सच्चा वीर.इस वीर के पीछे, आज सारा जमाना हैं।
अन्ना का तो...
सोनिया तेरे यूपीए का ,मनमोहन तो एक कठपुतली,तुने खुब नचाया हैं
अब हम सबको भी नचाना हैं।
अन्ना का तो...
अन्ना तेरी आंधी से
ये सरकार हिल जाएगी
फिर संसद को तो
भ्रष्टाचारियों से मुक्त कराना हैं।
अन्ना का तो....
वैभव शिव पाण्डेय , भिलाई(..)

एक पैरोडी देशभक्ती गीत, जब अनशन किया मेरे अन्ना ने

एक पैरोडी देशभक्ती गीत
, जब अनशन किया मेरे अन्ना ने
जब अनशन किया मेरे अन्ना ने ,अन्ना नें मेरे अन्ना ने..सरकार की तब नींद खुली ..करता न अनशन अन्ना तो सरकार को जगाना मुश्किल था..भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर यूं लगाम लगाना मुश्किल था..गांधी जहां पहले आया वही पर हमको अन्ना मिला..अपना अन्ना तो वो अन्ना हैं
जिसके पीछे ये देश चला ...देश चला और आगे बढ़ा ...भगवान करें ये और बढ़े ...बढ़ता ही रहें और फूले-फले ...२।
चुप क्यों हो गये कुछ और सुनाओं...हो..हो...हो...हो...हो.......हैं अन्ना जहां अनशन वहां ...मैं गीत उसी का गाता हूँ...भ्रष्टाचार मिटाने वाले अन्ना..मैं अन्ना की बात बताता हूँ...
हो..हो...हो..हो...हो.....जीते वो किसी नें देश तो क्या ..अन्ना ने तो दिलो को जीता हैं..उसे कुछ करना आता हो या न हो..उसे देश सेवा करना आता हैं..हो ऐसे वीर अन्ना को जिस मां ने जनम दिया..
मैं नित,मैं नित शीश उसे झुकाता हूँ..
भ्रष्टाचार मिटाने वाले अन्ना..मैं अन्ना की बात बताता हूँ..
हो..हो..हो..हो..होओ....कितनी हिम्मत अन्ना में सरकार को तक हिला दिया..इतनी शक्ति हैं अहिंसा में ये दुनिया को दिखला दिया....हो जिसे मान चुकी सारी दुनिया ..
मैं बात वही दोहराता हूँ...
भ्रष्टाचार मिटाने वाले अन्ना
मैं अन्ना की बात बताता हूँ..
हो..हो..हो..हो..होओ....वैभव शिव पाण्डेय , भिलाई (..)

अन्ना तो एक आग है

अन्ना तो एक आग है
अन्ना तो एक आग हैं ,आग हैं, आग है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बुलंद आवाज हैं।
अन्ना तो एक........लोकपाल बनके रहेगा ,बनके रहेगा ,बनके रहेगा।
भ्रष्टाचारियों के गले में फंदा कसेगा ।
हुआ देखों देश में यह शंखानाद हैं।
अन्ना तो एक....ये आंदोलन अब न रुकेगा ,न रुकेगा ,न रुकेगा।
जब तक लोकपाल हमें न मिलेगा ।
चहूं ओर अब बस यही जन आलाप हैं।
वैभव शिव पाण्डेय ,भिलाई (..)

१५ अगस्त

१५ अगस्त सिकड़ियों में सिसकती भारत मां आज भी अपने बेंटो की ओर निहार रही हैं।
आजादी तो मिली हमें पर भारत मां आज भी कुर्बानियां पुकार रही हैं।
अंग्रेजों को भगाया,अब भ्रष्टाचार,आंतकवाद ,नक्सलवाद को भगाना हैं।
उबलते लहू और देश प्रेम के जज्बात,फिर झकझोर जगाना हैं।
फिर याद करो भगत की फांसी, आजाद और गांधी ।
क्या आज मिली हैं सोचो असल आजादी।
नापाक नीतियों और मंसुबों को करो ध्वस्त ।
सिर उठाओ, सीना फुलाओ,फिर मनाओं गर्व से १५ अगस्त ॥
शशिकांत तिवारी अभी तक

Friday 19 August 2011

ई मीडिया और अन्नाई मीडिया को लेकर अक्सर ये सवाल उठते रहे हैं कि वो अपने दायित्व को ठीक से निभा नही रहा हैं,लेकिन अन्ना हजारे के आंदोलन को आज जन आंदोलन बनाने का काम किसी ने किया हैं तो उसमें ई मीडया की महती भूमिका रही है। ई मीडिया के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ हैं कि जब २४ घंटे तक कोई खबर के लिए बुलेटिन निकला हो और जिसका लाइव होता रहा हो। वास्तव में एक बार फिर से मीडिया ने अपनी ताकत का एहसास करा दिया हैं। जिस तरह से देश को आजादी दिलाने में पूर्व में अखबरो नें अपनी भूमिका का निर्वहन किया था ठीक आज उसी तरह देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने में ई मीडिया अपनी भूमिका अदा कर रहा हैं। यह सत्य हैं कि आज भ्रष्टाचार हर कही है और इससे मीडिया भी अछूता नहीं है बावजुद इसके जब मीडिया को एक मीडिया याने माध्यम या कहिए एक मंच अन्ना हजारे के रुप में मिला हैं तो उसनें भी इस मूहिम को अंजाम तक पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा हैं। यही मीडिया का सत्य हैं। जय अन्ना, जय मीडिया ।
वैभव शिव पाण्डेय

अन्ना तो एक आग है

अन्ना तो एक आग है
अन्ना तो एक आग हैं ,आग हैं, आग है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बुलंद आवाज हैं।
अन्ना तो एक........लोकपाल बनके रहेगा ,बनके रहेगा ,बनके रहेगा।
भ्रष्टाचारियों के गले में फंदा कसेगा ।
हुआ देखों देश में यह शंखानाद हैं।
अन्ना तो एक....ये आंदोलन अब न रुकेगा ,न रुकेगा ,न रुकेगा।
जब तक लोकपाल हमें न मिलेगा ।
चहूं ओर अब बस यही जन आलाप हैं।
वैभव शिव पाण्डेय ,भिलाई (..)

अन्ना

अन्ना
विपरीतकाले विनाश बुद्धि। जब विनाश निकट को बुद्धि काम करना बंद कर देती हैं। ठीक इस समय जैसा सरकार की बुद्धि काम नहीं कर रही हैं ,क्योंकि उनका विनाश निकट हैं। पहले उन्होनें अन्ना पर कुछ का कुछ आरोप लगाए फिर अनशन पहले उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिए और फिर जे.पी.पार्क की जगह रामलीला मैंदान में अनशन की इजजात दे दी। वही रामलीला जहां हर साल राम और रावण के बीच युद्ध होता हैं। और विजयी कौन होता हैं सभी जानते हैं। अब इसी राम लीला मैंदान अन्ना युद्ध लड़ने जा रहे हैं भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ । जहां पर अंहकारी सरकार का विनाश होगा। ठीक अंहकारी रावण की तरह ही। अब अन्ना की हिंसात्मक बाण से भ्रष्ट सरकार को कोई नही बचा सकेगा क्योंकि उसके पाप का घड़ा भर चुका हैं और वो अब फुटकर ही रहेगा।
वैभव शिव पाण्डेय

Monday 15 August 2011

जस्ने आजादी

जस्ने आजादी की ६४वी वर्षगांठ पर आपको बधाई , शुभकामनाये ,
मंगल, बिस्मिल, आजाद, भगत , गाँधी, नेहरु, सुभाष , तिलक
आवो सबको याद करे .
देश में हो चैनो-अमन ,
खुदा से ये फ़रियाद करे .
लेकिन यही फ़रियाद एक बार फिर से हमारी माँ भारत माँ आज हमसे कर रही है इस गीत के माध्यम से कुछ इस तरह .....
आजादी के ६४ बरस बाद भी ..
माँ भारती है पुकारती ...
गैरो की गुलामी मुझको मुक्ति मिल गयी
पर देखो मै तो अपनों के ही गुलाम हो गयी
भ्रष्टाचारियो के हाथ सौप मुझको कहते हो.....
मेरा भारत हैं महान ...मेरा .......
देश में बढता भ्रष्टाचार , नक्सलवाद , आंतंकवाद
घाटी से ले बस्तर तक फ़ैल रहा नफरत की आग
क्षेत्रवाद, धर्म- जाती पर मुझको बाँट रहे नेता बइमान
फिर भी कहते हो .... मेरा भारत है महान ...मेरा ....
चौक से लाकर चौराहों तक
संसद की गलियारों तक
बस नेताओ का शोर हैं
कौन सम्हाले मुझको यहाँ
जो ज्ञानी वही बड़ा कमजोर है...
महंगाई से पिसते मेरे लाल , आनाज को तरसते मेरे लाल
पर मंत्री जी का तो बस खेल में ही है ध्यान....
तब भी कहते हो... मेरा भारत है महान ....मेरा ...
घोटालो पे घोटाला हो रहे नित नए रोज
रुपयों के सौदागर मुझको ही बेच देंगे किसी रोज
इसलिए लाल मेरे गहराइयों से अब तू सोच
ऐसे राजनेताओ को संसद में आने से रोक
तू बन सच्चा देश भक्त कर अच्छे लोकतंत्र का निर्माण
फिर बोलना ... मेरा भारत है महान .....मेरा ...
कब तक यु चुप बैठोगे
कब तक ये जुल्म सहोगे
आखिर कब तलक तुम
एक नई भारत की तस्वीर गढ़ोंगे
गरीबी बेरोजगरी से मुक्त भारत की, जब बनादोगे दुनिया में मेरी पहचान ...
तब तुम कहना ... मेरा भारत है महान ...मेरा ....
औपचारिकता की बस बेला है...
स्वत्रंता -गणतंत्र दिवस तो,
अब घंटे भर का मेला है
तिरंगा फहराना एक रश्म निभाना
दिनभर देशभक्ति का गीत बजाना
सुबह होते ही फिर...
मुझको भूल जाना
क्यों , सच कहा ना
इसीलिए ,
अब तो जागो
मत तुम भागो
बोल दो फिर इन्कलाब, खोल के अपने सिये जुबान ...
और फिर बोलो ... मेरा भारत है महान.

वैभव शिव पाण्‍डेय

एमजे की यादें

आ फिर लौट चले जीजीयु की ओर...
एम.जे.एम.सी. की पहले साल की ओर ....
आभा,रचना,श्वेता से मेरी पहली मुलाकात
आज भी है मुझे बड़े अदब से याद .....
मै थोडा सकुचाया घबराया सा था ..
सच कहू तो आप लोगो से बात कर शरमाया सा था ...
क्योकि आप सब शहर की गुनी
और मै ठेठ देहात से आया था
मै बी.जे.एम.सी. करने जा रहा था ...
आप सब मेरी मदद की ...
मुझे एम.जे.एम.सी करने की सलाह दी ....
क्यों सच कहा न
जो लिखा सही लिखा न
फिर तो जैसे हम सब यु घुले
जैसे कभी पहले भी हो मिले
फ़िर मिले मनोज नवाब रवि ब्रिज
मुकेश अविनाश भुनेश्वरी सुमित
आरती प्रांजलि निशा निगार
सब मिले एम.जे.बना यादगार
सबका मिला भरपूर प्यार
सबका अच्छा रहा व्यव्हार
आप सब ने मेरी मदद की आप सब से मैंने सिखा
आप सब की ही प्रेणना है ये जो कुछ मैंने लिखा
आवो फिर एक संग मिल करे जमकर शोर....
आ फिर लौट चले.........
बागची मेडम का डाटना, रुपेश सर का लिखाना
मोहन सर का समझाना और चौबे भैया का हँसाना
समीर भैया का हर खबर बताना
और हम सबका मस्ती में क्लास बिताना
पढाई का कोई टेंशन नहीं बेफिक्र जीना
लैबेरी में गप मारना
और क्लास छोड़ कैटिन में चाय पीना

मित्रता

चित्र गूगल से साभार
बहुत खूब
मेरे विचार
मित्रता के लिए कोई दिवस नहीं
अपनी मित्रता को एक दिन में समेट ले इतने विवश नहीं
मेरे लिए तो हर दिन मित्र दिवस है
क्योकि मित्रो के लिए कोई दिन विशेष नहीं
हर दिन मित्रो के लिए विशेष है
मित्र जिंदगी के एक अहम् हिस्सा
मित्र जिंदगी एक प्यारा किस्सा
मित्र जिंदगी का विस्वाश
मित्र जिंदगी का खुबसूरत एहसाश
मित्र जिंदगी का नूर
और सच कहू तो
मित्र ही जिंदगी का कोहनूर

वैभव शिव पाण्‍डेय

छत्‍तीसगढ़ी कविता

खेत -खार झूमर-झूमर नाचे , माते चिखला माटी
आगे बरसात संगी खेलव भौरा-बाटी
नरवा-नदिया म पूरा आगे , तरिया घलोक लबलबा गे
जम्मो कोती पानी-पानी गली खोर बोहागे
चुहे ला धरलिस घर-कुरिया सब चुचवागे वोरवाती
खेत-खार ..................

वैभव शिव पाण्‍डेय

मानसून

चित्र गूगल से साभार














थोडा काम थोडा आराम है
सुबह सुनहरी धुप मस्ताना शाम है
मानसून दे दी है दस्तक
बारिस भी रुक-रुक के होने लगी
मनचला हो चला है दिल फिर
मन फिर आस नई जगने लगी है
बचपन फिर याद आने लगे है
यादे खूब सताने लगे है
बारिश में भींगना , कीचड़ में खेलना
कागज की कसती ले घर से निकलना
छई-छपा-छई पानी भरे गड्डो में उछलना-कूदना
छूटते ही स्कुल से मस्ती में घर लौटना
फ़िलहाल इन यादो को यही विराम है
आपको प्रणाम -सलाम जय राम

वैभव शिव पाण्‍डेय

Saturday 6 August 2011

छत्तीसगढ़ी फिल्म मि.टेटकूराम

छत्तीसगढ़ के दर्शक लंबे समय जिस कामेडी फिल्म टेटकूराम का इंतजार कर रहे थे, वो आज प्रदेश के 13 सिनेमाघरो में एक साथ प्रदर्शित हो गई। लेकिन फिल्म दर्शको के उम्मीदों पर खरी उतरी होगी यह कह पाना फिल्म मुस्किल लग रहा हैं। मुझे भी इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार था और बड़े उम्मीद के साथ मैं फिल्म देखने भिलाई के चंद्रा सिनेमा हॉल पहुंचा। लेकिन फिल्म देखने के बाद लगा जैसे यह फिल्म मेंरी अभी तक देखीं छत्तीसगढ़ी फिल्मों से सबसे कमजोर फिल्म थी। मैनें अनुज शर्मा की छइहां भुइंया से लकर महू दीवनां तहू दीवानी तक फिल्म देखीं उनमें अभी तक की सबसे कमजोर फिल्म हैं मि.टेटकूराम । 

मुझे पुरी फिल्म में यह समझ नही आया कि निर्माता -निर्देशक फिल्म को हास्यप्रधान बनना चाहते थे या फिर प्रेमप्रधान या फिर भावनात्मक रंग देना चाहते थे। फिल्म में तीनो का समान रुप दिखाई देता हैं। फिल्म में बेहद ही काम चलाऊ कामेडी हैं जो दर्शको को लोटपोट नहीं कर पाती....फिल्म के गीत-संगीत की बात की जाय तो वह भी साधारण है .....टाइटल सोंग को छोड़कर बाकि गाने सामान्य ही है ....वही अगर अभिनय की बात की जाय तो अभिनेता अनुज ने बेहद ही साधारण अभिनय किया है एक तरह से अनुज अभिनय के मामले में पूरी फिल्म कमजोर दिखे .....वही अभिनेत्री पूजा की एक्टिंग ठीक-ठाक थी .....जबकि हिरोइन के बाप बने पुष्पेन्द्र ने एक बर फिर अपने अभिनय की छाप छोड़ी है ....वही हीरो के दोस्त बने हेमलाल भी अपने अभिनय के मुकाबले फिल्म में कुछ खास नहीं कर पाए ...जबकि गुग्गी सरदार के रूप में संजय महानंद अपने किरदार के साथ न्याय करते दिखे....अगर कहानी की बात की जाय तो कहानी में नयापन था.....पर कहनी के अनुसार पठकथा नहीं लिखी जा सकी .....

पूरी फिल्म में कोई चीज की सबसे ज्यादा कमी दर्शको जो खलती वो है डायलाग .....फिल्म में अच्छे संवाद का न होना फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है....वही इस फिल्म में निर्देशन भी कुछ खास नहीं था ....याने निर्देशक ने किसी सीन में कुछ रचनात्मक या नया प्रयोग किया हो एसा नहीं लगता ....फिल्म में छत्तीसगढ़ के बहार एक गाना शूट किया गया है जो अच्छा था .....पर लगा नहीं की जैसे कि उस फिल्म में कही उसकी जरुरत भी है .....जिस जगह को निर्माता दर्शको को दिखाना चाहते है वैसे नजारे दर्शक अक्सर हिंदी फिल्मों में देखते रहते हैं ....बेहतर होता छत्तीसगढ़ के कही अछे लोकेशन को दिखा पाते....अनुज शर्मा एक अच्छे अभिनेता हैं उसे फिलहाल अपने अभिनय और अपने लुक पर मेहनत करना चाहिए .....खास तौर पर अनुज को अपने लुक में बदलाव करने की जरुरत हैं ...वही उसे अब किसी एक्शन फिल्म के साथ नये रंग-रुप में आना चाहिए....साथ ही अनुज को अभी सिर्फ और सिर्फ अभिनय पर ध्यान देना चाहिए... फिल्म निर्माण पर कुछ समय बाद ध्यान देना सही होगा।

सुधी दर्शक

वैभव शिव

होली के रंग

होली की सतरंगी रंगों की तरह रंगीन हो जिंदगी ...वाह..वाह..वाह..
होली की सतरंगी रंगों की तरह रंगीन हो जिंदगी..
बोल तो रंगने आ जाऊ अभी ....वाह ..वाह..वाह..
भर पिचकारी मारू बार-बार
रहा-कसा सब पूरी कर दू बचा हो कोई जो उधार
लाल-हरा ,पीला-नीला
सारे रंग मै डार दू..
बस मना न करना
मै तोहे आज इन्द्रधनुषी की तरह संवार दू ..
ऐसो रंग में रंग देहु तोहे
छुडायो न छूटे कभी रंग
दुआ करे बस हम यही
युही मानते रहे होली सदा दोस्तों के संग
होली है....फागुन की मस्ती ,बतासे की मिठास और नगाडो की मधुर स्वरलहरियो के साथ होली की सतरंगी मुबारकबाद .....

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