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चित्र गूगल से साभार |
थोडा काम थोडा आराम है
सुबह सुनहरी धुप मस्ताना शाम है
मानसून दे दी है दस्तक
बारिस भी रुक-रुक के होने लगी
मनचला हो चला है दिल फिर
मन फिर आस नई जगने लगी है
बचपन फिर याद आने लगे है
यादे खूब सताने लगे है
बारिश में भींगना , कीचड़ में खेलना
कागज की कसती ले घर से निकलना
छई-छपा-छई पानी भरे गड्डो में उछलना-कूदना
छूटते ही स्कुल से मस्ती में घर लौटना
फ़िलहाल इन यादो को यही विराम है
आपको प्रणाम -सलाम जय राम
वैभव शिव पाण्डेय
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