Thursday 19 April 2012

एक सच्चा गणतंत्र बनाये

कहा गण,कहा तंत्र है।
जहा देखों भ्रष्टाचार,
बेईमानी का सड़यंत्र है।

बच न सका न्यायपालिका,कार्यपालिका।
न बचा मीडिया, न विधायिका।
हर कही दाग ही दाग,
मर रहा चार स्तम्भों का लोकतंत्र है।

न बची आजादी ,
न रहे आजादी के दीवाने।
जिसके दमन दागदार,
लगे वाही तिरंगा फहराने। .
कैसी ये व्यवस्था कैसा प्रजातंत्र है।

फिर काहे का गणतंत्र दिवस,
और क्यों हम इसे मनाये।
आवो फिर से एक संकल्प ले आज,
एक सच्चा गणतंत्र बनाये।
वन्देमातरम
वैभव शिव पाण्डेय "क्रांति"

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