कहा गण,कहा तंत्र है।
जहा देखों भ्रष्टाचार,
बेईमानी का सड़यंत्र है।
बच न सका न्यायपालिका,कार्यपालिका।
न बचा मीडिया, न विधायिका।
हर कही दाग ही दाग,
मर रहा चार स्तम्भों का लोकतंत्र है।
न बची आजादी ,
न रहे आजादी के दीवाने।
जिसके दमन दागदार,
लगे वाही तिरंगा फहराने। .
कैसी ये व्यवस्था कैसा प्रजातंत्र है।
फिर काहे का गणतंत्र दिवस,
और क्यों हम इसे मनाये।
आवो फिर से एक संकल्प ले आज,
एक सच्चा गणतंत्र बनाये।
वन्देमातरम
वैभव शिव पाण्डेय "क्रांति"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
खेत -खार झूमर-झूमर नाचे , माते चिखला माटी आगे बरसात संगी खेलव भौरा-बाटी नरवा-नदिया म पूरा आगे , तरिया घलोक लबलबा गे जम्मो कोती पानी-पानी गली...
-
एक पैरोडी देशभक्ती गीत , जब अनशन किया मेरे अन्ना ने जब अनशन किया मेरे अन्ना ने , अन्ना नें मेरे अन्ना ने .. सरकार की तब नींद खुली .. करता न...
-
छत्तीसगढ़ के दर्शक लंबे समय जिस कामेडी फिल्म टेटकूराम का इंतजार कर रहे थे, वो आज प्रदेश के 13 सिनेमाघरो में एक साथ प्रदर्शित हो गई। लेकिन फि...
-
चित्र गूगल से साभार थोडा काम थोडा आराम है सुबह सुनहरी धुप मस्ताना शाम है मानसून दे दी है दस्तक बारिस भी रुक-रुक के हो...
-
चित्र गूगल से साभार बहुत खूब मेरे विचार मित्रता के लिए कोई दिवस नहीं अपनी मित्रता को एक दिन में समेट ले इतने विवश नहीं मेरे लिए तो...
-
मोर मन के पीरा ” अच्छाई उपर बुराई जीतगें। आज फिर सहर म एक इमानदार पीटगे। जेन रिपोट लिखाइस तेने ह...
-
“छत्तीसगढ़ी गीत” “सूचना के अधिकार” सूचना के अधिकार आगे रे ।२ सुन ग कका..सुन ओं काकी । सुन ग ममा...सुन ओं मामी । लोकतंत्र म सुसासन के अध...
-
“...कुछ और होता हैं “ सुनहरी सुबह कुनकुने धूप में, सड़क किनारे लगे ठेले में, चाय पीने का मजा कुछ और होता हैं। जाड़े का महिना,कंपकंपाती ठ...
-
होली की सतरंगी रंगों की तरह रंगीन हो जिंदगी ...वाह..वाह..वाह.. होली की सतरंगी रंगों की तरह रंगीन हो जिंदगी.. बोल तो रंगने आ जाऊ अभी ....वा...
-
जस्ने आजादी की ६४वी वर्षगांठ पर आपको बधाई , शुभकामनाये , मंगल, बिस्मिल, आजाद, भगत , गाँधी, नेहरु, सुभाष , तिलक आवो सबको याद करे . देश में...
No comments:
Post a Comment